Wednesday, July 21, 2010

शेर बोलते हैं !

इस तरह मुँह फेर कर जाना तेरा
देखना एक दिन तुझे तडफायेगा ।

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फूलों में जबां तुम हो, खुशबू पे फिदा हम हैं
अकेले तुम तो क्या तुम हो, अकेले हम तो क्या हम हैं।

13 comments:

Asha Joglekar said...

Such me bol rahe hain aapke ye sher.

Udan Tashtari said...

बहुत खूब!

Anamikaghatak said...

वाह वाह ..........

Anonymous said...

बहुत बढिया भाई साहब!

निर्मला कपिला said...

फूलों में जबां तुम हो, खुशबू पे फिदा हम हैं
अकेले तुम तो क्या तुम हो, अकेले हम तो क्या हम हैं।
वाह बहुत खूब शुभकामनायें

शिक्षामित्र said...

माफ कीजिएगा,थोड़ी और कलात्मक अभिव्यक्ति की अपेक्षा थी।

SomeOne said...

गुरु जी , ये तो पहले वाला तो दहाड़ता है !
और आप कहते है बोलता है !

अर्चना तिवारी said...

वाह! बहुत खूब...

Akshitaa (Pakhi) said...

बहुत सुन्दर शेर....
__________
'पाखी की दुनिया' में आपका स्वागत है.

अरुणेश मिश्र said...

मौके पर काम आने वाला साहित्य ।
वाह ! बहुत खूब ।

वीरेंद्र सिंह said...

Padhkar mazaa aaya aur achha bhi lagaa.

वीरेंद्र सिंह said...

Padhkar mazaa aaya aur achha bhi lagaa.

vijay kumar sappatti said...

bhaiyya ,.

aapke shero ne bas qatl ka kaam kiya hai .. pahle sher ne jaan hi nikaal kar rakhi hai , aur likhiye bhai ..